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प्रशासन ने दमण में रहनेवाले सभी मुस्लिमों को दमण के किसी भी कब्रिस्तान में अपने परिवारजन को दफनाने का दिया अधिकार

– प्रशासन ने मेरी जमात, मेरा कब्रिस्तान सोच पर लगाया पूर्ण विराम
– दमण के कब्रिस्तानों में से किसी में भी दमण में निवास करने वाला मुस्लिम परिवार मर्हूम को दफना सकता है : जिला प्रशासन – प्रशासन ने आदेश में कहा: इस्लाम सभी मुसलमानों में समानता की शिक्षा देता है और जीवित लोगों के बीच भेदभाव कभी नहीं सिखाता, मृतकों की तो बात ही छोड़िए…. – प्रशासन ने मुस्लिमों के साथ किसी भी कब्रिस्तान में भेदभाव न हो इसके लिए कलेक्ट्रेट में तैनात अधीक्षक इस्माइल के. मुजावर को नोडल अधिकारी बनाया है
असली आजादी न्यूज नेटवर्क, दमण 08 अगस्त। प्रशासन ने दमण में निवास करने वाले सभी मुस्लिम समुदाय के लिए ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए दमण के सभी कब्रिस्तानों में उनके मर्हूम को दफनाने का अधिकार दिया है। जिला कलेक्टर की ओर से बकायदा इस बावत आदेश जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि प्रशासन को शिकायतें मिल रही थीं कि दमण में भौगोलिक और सांप्रदायिक अंतर के आधार पर कब्रिस्तानों में दफनाने के दौरान मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। प्रशासन ने आदेश में कहा कि इस्लाम सभी मुसलमानों में समानता की शिक्षा देता है और जीवित लोगों के बीच भेदभाव कभी नहीं सिखाता, मृतकों की तो बात ही छोड़िए…। कब्रिस्तान भूमि के उपयोग पर गैरकानूनी प्रतिबंध, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 के उल्लंघन सहित, मृतक और उनके परिवार के सदस्यों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, जो भारत के संविधान के तहत गारंटीकृत हैं और सार्वजनिक शांति में खलल पैदा कर सकता है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न निर्णयों का अध्ययन करने के बाद, जिनमें सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 की व्यापक व्याख्या की है, जिसमें सम्मानजनक अंत्येष्टि या दाह संस्कार के अधिकार को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंग के रूप में शामिल किया गया है। इसका अर्थ है कि राज्य का यह कर्तव्य है कि वह यह सुनिश्चित करे कि व्यक्तियों की कब्रिस्तान तक पहुँच हो और उनके अवशेषों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाए। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न निर्णयों और कानूनी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए दमण जिला कलेक्टर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस बावत आदेश जारी किया है। जिसमें कोई भी व्यक्ति, समुदाय, धार्मिक संगठन या समूह मुस्लिम समुदाय के लिए कब्रिस्तान के रूप में नामित किसी भी स्थल पर, चाहे उनकी आंतरिक सांप्रदायिक पहचान कुछ भी हो, मुस्लिम धर्म से संबंधित किसी भी मृत व्यक्ति के दफन को प्रतिबंधित या बाधित नहीं करेगा। प्रशासन ने मुस्लिमों के साथ किसी भी कब्रिस्तान में भेदभाव न हो इसके लिए कलेक्ट्रेट में तैनात अधीक्षक इस्माइल के. मुजावर को नोडल अधिकारी बनाया है। इस संबंध में बाधा/प्रतिबंध, धमकी या भेदभाव में लिप्त पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या समूह पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 196 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य करना) और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है। साथ ही भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 (किसी लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) और अन्य लागू कानूनी प्रावधानों के तहत भी मुकदमा चलाया जा सकता है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। गौरतलब है कि प्रशासन के कब्रिस्तानों को लेकर दमण में निवास करने वाले सभी मुस्लिम समुदाय के हित में जारी किए हुए आदेश से उत्तर भारत सहित विभिन्न राज्यों से दमण आकर निवास करने वाले मुस्लिमों में खुशी की लहर है। यहां बताना जरूरी है कि दमण के विभिन्न उद्योगों एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में बडी संख्या में प्रदेश बाहर के नागरिक रोजगार के लिए आकर बसे हुए है। जिसमें एक बडा वर्ग मुस्लिम समुदाय से आता है। दमण में अगर किसी का इंतकाल हो जाता है तो कुछ कब्रिस्तानों में दफनाने को लेकर उन्हें दिक्कतें आती है। लेकिन अब सभी मुस्लिमों का सभी कब्रिस्तानों पर अधिकार का निर्णय सभी के लिए समान अधिकार के रूप में देखा जा रहा है।

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