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सिलवासा और खानवेल मामलतदारों को सरकारी दस्तावेजों में छेड़खानी कर निजी लाभ पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तारी के बाद मिली 5 दिन की पुलिस रिमांड

असली आजादी न्यूज नेटवर्क, सिलवासा 20 जनवरी। दादरा नगर हवेली के सिलवासा एवं खानवेल के मामलतदारों को पिछले दिनों संघ प्रशासन द्वारा पद का दुरुपयोग करने के कारण निलंबित कर दिया गया था। निलंबन के कुछ ही दिन के बाद प्रशासन द्वारा दोनों मामलतदारों तीरथराम शर्मा एवं बृजेश भंडारी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया गया है। स्थानीय प्रशासन के मामलतदार समकक्ष अधिकारी द्वारा दिए गए तहरीर के आधार पर सिलवासा पुलिस थाने में दर्ज किए गए एफआईआर के बाद सिलवासा पुलिस बीती रात दोनों पूर्व मामलतदारों तीरथराम शर्मा तथा बृजेश भंडारी को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार किए गए दोनों पूर्व मामलतदारों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 466 तथा 468 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और उनसे प्राथमिक पूछताछ के बाद आज उन्हें सिलवासा न्यायालय में न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया गया। जहां पर अत्यधिक जांच और जांच की गोपनीयता तथा उसकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए दोनों मामलतदारों को पुलिस ने रिमांड पर देने की मांग न्यायपालिका के समक्ष रखी। पुलिस की मांग पर दोनों अधिकारियों को 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। इस मामले की जांच दो पुलिस अधिकारियों को सौंपी गई है। पुलिस निरीक्षक भारत तथा पुलिस निरीक्षक सूरज रावत इस मामले की जांच की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। दादरा नगर हवेली के इतिहास में पहली बार हुआ है कि दो बी केटेगरी के अधिकारी इस तरह के मामलों में गिरफ्तार किए गए हो। सिलवासा के मामलतदार तीरथराम शर्मा तथा खानवेल के मामलतदार बृजेश भंडारी के ऊपर जिन धाराओं को लगाया गया है उन धाराओं में दोनों अधिकारियों के ऊपर क्या कार्यवाही और सजा हो सकती है उसके अनुसार भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के अनुसार, जो भी कोई लोक सेवक के नाते अथवा बैंक कर्मचारी, व्यापारी, फैक्टर, दलाल, अटर्नी या अभिकर्ता के रूप में किसी प्रकार की संपत्ति से जुड़ा हो या संपत्ति पर कोई भी प्रभुत्व होते हुए उस संपत्ति के विषय में विश्वास का आपराधिक हनन करता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 466 के अंतर्गत जो कोई ऐसे दस्तावेज की या ऐसे इलेक्ट्रानिक अभिलेख की जिसका कि किसी न्यायालय का या न्यायालय में अभिलेख या कार्यवाही होना है, कूटरचना करेगा, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। भारतीय दंड संहिता की धारा 468 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इस आशय से कूटरचना करता है कि कूटरचित दस्तावेजों को छल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

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